चलते हैं एक-एक घर तेरे ही हिसाब से.....। चलते हैं एक-एक घर तेरे ही हिसाब से.....।
दुख हो चाहे सुख हो, तेरे संग काटूं मैं... बनके तेरी छाया, तेरे संग भागूं मैं.. दुख हो चाहे सुख हो, तेरे संग काटूं मैं... बनके तेरी छाया, तेरे संग भागू...
रोज नये खेल रचे जा रहा है जीवन नाटक है चले जा रहा है। रोज नये खेल रचे जा रहा है जीवन नाटक है चले जा रहा है।
जीवन हुआ बियाबान जीना हो गया मुश्किल जीवन हुआ बियाबान जीना हो गया मुश्किल
संघर्ष कितना कठोर है। संघर्ष कितना कठोर है।
बड़े बड़े संकट भी घुटना टेक यहां थर्राते हैं। बड़े बड़े संकट भी घुटना टेक यहां थर्राते हैं।